क्रिया-विशेषण Adverb
परिवर्तन या विकार के आधार पर शब्दों के दो भेद किये जा सकते हैं
- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
विकारी शब्द
लिंग , वचन , कारक , पुरुष , काल , आदि के कारण इनके रूप में परिवर्तन होता है।जैसे -
संज्ञा , सर्वनाम , क्रिया , विशेषण ।
अविकारी/ अव्यय शब्द
“न व्ययेती इति अव्यय”लिंग , वचन , कारक , पुरुष , काल , आदि के कारण इनके रूप में परिवर्तन नही होता है।
सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु,सर्वासु च विभक्तिषु । वचनेषु च सर्वेषु यन्न व्ययेति तदव्ययम् ।।
जैसे -
क्रिया-विशेषण , समुच्चयबोधक , सम्बन्धबोधक , विस्मयादिबोधक
क्रिया-विशेषण
जिन शब्दों से क्रिया के अर्थ में विशेषता प्रकट होती है , उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं ।श्याम प्रतिदिन पढ़ता है ।
वाक्य में पढ़ना क्रिया की विशेषता प्रतिदिन शब्द से प्रकट हो रही है । अतः इस वाक्य में प्रतिदिन एक क्रिया-विशेषण है ।
उदाहरण
कुछ खेल लो ।
मैट्रो तेज चलती है ।
राम अच्छा लिखता है ।
तुम पीछे चलो ।
इन उदाहरणों में कुछ , तेज , अच्छा , पीछे शब्द खेल लो , चलती , लिखता , चलो क्रिया की विशेषता प्रकट कर रहे हैं । अतः ये शब्द क्रिया-विशेषण हैं ।
क्रिया-विशेषण के भेद
क्रिया-विशेषण के मुख्यतः चार भेद होते हैं –
- परिमाणवाचक
- रितिवाचक
- स्थानवाचक
- कालवाचक
परिमाणवाचक
वे अविकारी शब्द जो किसी क्रिया के परिमाण अथवा निश्चित संख्या का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं।जैसे –
बहुत, अधिक, अधिकाधिक , पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल, यथेष्ट, इतना, उतना, कितना, थोड़ा-थोड़ा, तिल-तिल, एक-एक करके, आदि ।
उदाहरण
मैं पूर्णतया जनता हूँ ।
सर्वथा अनजान मत बनो ।
अधिक सुनो , कम बोलो ।
थोड़ा खाओ ।
ये भी देखें
रीतिवाचक
वे अविकारी शब्द जो किसी क्रिया के करने के तरीके या रीति का बोध कराएं , वे रीतिवाचक क्रिया-विशेषण कहलाते हैं ।ये निम्न अर्थों में होते हैं –
- अनिश्चयात्मक -
कदाचित् , शायद , सम्भव है , बहुत करके , बहुधा , प्रायः , अक्सर आदि ।
- स्वीकारात्मक -
हाँ , ठीक , सच , बिलकुल , सही , बिलकुल सही , जी हाँ आदि ।
- कारणात्मक ( हेतु ) -
इसलिए , अतएव , क्यों , किसलिए , काहे को , अत : आदि कारणात्मक या हेतु क्रिया - विशेषण हैं ।
- निषेधात्मक -
न , ना , नहीं , मत , बिलकुल नहीं , अरि नहीं , जी नहीं आदि ।
- आवृत्यात्मक -
गटागट , फटाफट , खुल्लमखुल्ला आदि
- अवधारक –
ही , तो , भी , तक , भर , मात्र , अभी , तभी आदि ।
- प्रकारात्मक –
धीरे - धीरे अचानक , अनायास , संयोग से , एकाएक , सहसा , सुखपूर्वक शान्ति से , हँसता हुआ , मन से , घड़ाघड़ झटपट , आप ही आप , शीघ्रता से , ध्यानपूर्वक , जल्दी , तुरन्त आदि ।
- निश्चयात्मक -
अवश्य , ठीक , सचमुच , अलबत्ता , वास्तव में , बेशक , नि : संदेह आदि ।
स्थानवाचक
वे अविकारी शब्द जो किसी क्रिया के संपादित होने के स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं।जैसे -
यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर आदि।
उदाहरण
यहाँ-वहाँ मत चलो ।
वहाँ पेड़ के नीचे बैठो ।
भीतर आ जाओ ।
कालवाचक
वे अविकारी शब्द जो किसी क्रिया के होने का समय बतलाते हैं, उन्हें कालवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं।जैसे -
परसों, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार।
उदाहरण
राम प्रतिदिन स्कूल जाता है ।
मोहन बाजार से अभी-अभी आया है ।
रमा बार-बार बाहर मत जाओ ।
क्रिया-विशेषण रचना
कभी-कभी मूल क्रिया - विशेषणों के अतिरिक्त प्रत्यय , समास आदि के योग से भी कुछ क्रिया - विशेषण शब्दों की रचना होती है , उन्हें यौगिक क्रिया - विशेषण कहते हैं ।जैसे -
- संज्ञा से- प्रेमपूर्वक , कुशलतापूर्वक , दिन - भर , रात - तक , सवेरे , सायं , आदि संज्ञा शब्दों के योग से बने हैं ।
- सर्वनाम से- यहाँ , वहाँ , अब , जब , जिससे , इसलिए , जिस पर , ज्यों , त्यों , जैसे - वैसे , जहाँ - वहाँ आदि ।
- विशेषण से- चुपके , इतने में , ऐसे , वैसे , कैसे , जैसे , पहले , दूसरे प्रायः बहुधा आदि ।
- क्रिया से - चलते - चलते , उठते - बैठते , खाते - पीते , सोते करते लौटते हुए , जाते - जाते आदि ।
- शब्दों की पुनरुक्ति से- हाथों - हाथ , बीचों - बीच , घर - घर , साफ साफ , कभी - कभी , क्षण - क्षण , पल - पल , धड़ाधड़ आदि ।
- विलोम शब्दों के योग से - रात - दिन , साँझ - सवेरे , देश - विदेश , उल्टा - सीधा , छोटा - बडा , आदि ।
- बिना प्रत्यय के- कभी - कभी , संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण आदि के साथ बिना किसी प्रत्यय के योग से क्रिया - विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
जैसे –
तू सिर पढ़ेगा ।
तुम खाक करोगे ।
उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद!
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