हिन्दी व्याकरण - वचन Number

वचन Number

Number


शब्द या शब्दों के जिस रूप से एक या एक से अधिक का बोध हो , उसे  'वचन' कहते है। अर्थात संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध होता है , उसे 'वचन' कहते है। वचन का शाब्दिक अर्थ  'संख्यावचन' है । 'संख्यावचन' को ही संक्षेप में 'वचन' कहते है। वचन का अन्य अर्थ कहना भी है।

जैसे-
राम खेल रहा है ।
बाजार से सब्जियां लाओ ।
श्याम और मोहन आ रहे हैं ।
ट्रेन समय पर है ।

उपर्युक्त वाक्यों में खेल रहा है , सब्जियां , आ रहे हैं , समय पर है  आदि शब्द वाक्य में कर्ता या क्रिया के एक या उससे अधिक होने का बोध करवा रहे हैं ।

वचन के भेद

अधिकांश भाषाओं में दो वचन ही होते हैं , किन्तु संस्कृत तथा कुछ और भाषाओं में एक तीसरा द्विवचन भी होता है। हिन्दी में भी वचन दो ही होते हैं ।

  • एकवचन
  • बहुवचन


एकवचन

शब्द के जिस रूप से एक ही व्यक्ति या एक ही वस्तु होने का बोध हो, उसे एकवचन कहते है।

जैसे
लड़का , गाय , स्त्री , घोड़ा , नदी , रुपया , सिपाही , बच्चा , कपड़ा , माँ  , बंदर , शेर , कुत्ता , पुस्तक , कलम , आदि।

बहुवचन 

शब्द के जिस रूप से एक से अधिक व्यक्ति या वस्तु होने का बोध हो, उसे बहुवचन कहते है।

जैसे
लड़के , गायें , स्त्रियाँ , घोड़े , नदियाँ , रूपये , बच्चे , कपड़े , माताएँ , पुस्तकें , कुत्ते , कलमें आदि ।

एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम


आकारान्त पुल्लिंग शब्दों में 'आ' के स्थान पर 'ए' लगाने से बहुवचन रूप बनता है ।

जैसे - 
लड़का – लड़के
बच्चा – बच्चे
केला  -  केले
घोड़ा  -  घोडे
बेटा  -  बेटे
कुत्ता  -  कुत्ते
कपड़ा – कपड़े

अकारांत स्त्रीलिंग शब्दों में 'अ' के स्थान पर 'ऐं’ लगाने से बहुवचन रूप बनता है ।

जैसे – 
किताब - किताबें
पुस्तक - पुस्तकें
कलम – कलमें
सड़क - सड़कें
बात - बातें
रात - रातें
आँख - आखें

जिन स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अन्त में 'या' आता है, उनमें 'या' के ऊपर चन्द्रबिन्दु लगाने से बहुवचन बनता है।

जैसे -
बुढ़िया  -  बुढियाँ
कुत्तिया  -  कुतियाँ
बिंदिया - बिंदियाँ
चिडिया - चिडियाँ
डिबिया  - डिबियाँ
गुडिया - गुडियाँ
चुहिया  - चुहियाँ

इकारान्त व ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के 'इ' या 'ई' के स्थान पर 'याँ' व इ/ई के स्थान पर इ लगाने से बहुवचन रूप बनता है ।

जैसे – 
नीति - नीतियाँ
तिथि  -  तिथियाँ
नारी  - नारियाँ
रीति  -  रीतियाँ
गति - गतियाँ
थाली – थालियाँ
नदी  - नदियाँ


आकारांत स्त्रीलिंग एकवचन संज्ञा-शब्दों के अन्त में 'एँ' लगाने से बहुवचन रूप बनता है। 

जैसे-
माता  -  माताएँ
कन्या  -  कन्याएँ
अध्यापिका  -  अध्यापिकाएँ
लता  -  लताएँ
पत्रिका - पत्रिकाएँ
कथा - कथाएँ
कामना - कामनाएँ


उकारान्त व ऊकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के अन्त में 'एँ' लगाते है। 'ऊ' को 'उ' में बदल देने से बहुवचन रूप बनता है ।

जैसे – 
धातु - धातुएँ
वस्तु  - वस्तुएँ
गौ - गौएँ
बहु  - बहुएँ
वधू - वधुएँ
गऊ – गउएँ
धेनु – धेनुएँ

संज्ञा के पुंलिंग अथवा स्त्रीलिंग रूपों में 'गण' 'वर्ग' 'जन' 'लोग' 'वृन्द' 'दल' आदि शब्द जोड़कर भी शब्दों का बहुवचन बनता  हैं। 

जैसे-
बहु - बहुजन
अधिकारी - अधिकारीवर्ग
पाठक - पाठकगण
अध्यापक - अध्यापकवृंद
विद्यार्थी - विद्यार्थीगण
आप - आपलोग
गुरु - गुरुजन

कुछ शब्दों में गुण, वर्ण, भाव आदि शब्द लगाकर बहुवचन बनाया जाता है।

 जैसे-
बन्धु - बंधुगण
व्यापारी  - व्यापारीगण
बालक - बालकगण
मित्र  - मित्रवर्ग
विद्यार्थी – विद्यार्थीगण
दर्शक – दर्शकगण
सेना – सेनादल

अकारान्त, आकारान्त (तत्सम - शब्दों को छोड़कर) तथा एकारान्त संज्ञाओं में अन्तिम 'अ', 'आ' या 'ए' के स्थान पर बहुवचन बनाने के लिए 'ओं' कर दिया जाता है। 

जैसे-
बच्चे - बच्चों
लडका - लडकों
घर  -घरों
गधा - गधों
घोड़ा – घोड़ों
आदमी - आदमियों
चोर -  चोरों

तत्सम (संस्कृत ) की आकारान्त तथा संस्कृत-हिन्दी की सभी उकारान्त, ऊकारान्त, अकारान्त, औकारान्त संज्ञाओं को बहुवचन का रूप देने के लिए अन्त में 'ओं ' जोड़ने पर बहुवचन रूप बनता है । उकारान्त शब्दों में ‘ओं' जोड़ने के पूर्व 'ऊ' को 'उ' कर दिया जाता है।

जैसे – 
दवा - दवाओं
लता - लताओं
साधु - साधुओं
वधू - वधुओं
घर - घरों
जौ – जाओं
रमा - रमाओं

सभी इकारान्त और ईकारान्त संज्ञाओं का बहुवचन बनाने के लिए अन्त में 'यों' जोड़ा जाता है। 'इकारान्त' शब्दों में 'यों' जोड़ने के पहले 'ई' का इ' कर दिया जाता है।

 जैसे-
गाड़ी - गाड़ियों
मुनि - मुनियों
गली - गलियों
नदी - नदियों
साड़ी -  साड़ियों
झाड़ी -  झाड़ियों
श्रीमती - श्रीमतियों

ये भी देखें

वचन प्रयोग के सामान्य नियम


हिंदी भाषा में आदर प्रकट करने के लिए एकवचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग किया जाता है।


जैसे-
पिता जी , आप कब पहुंचे ?
सुभाष चन्द्र बोस महान क्रांतिकारी थे ।
गुरुजी हिन्दी पढा रहे हैं ।
भैया आप बैठिये ।

कुछ शब्द सदैव एकवचन में रहते है।


जैसे-
आकाश में बादल छाए हैं।
हमारे यहाँ सरकार  का चयन जनता द्वारा किया जाता है ।
पानी का अपव्यय करने पर सारा पानी खत्म हो जाएगा।
मुझे बहुत क्रोध आ रहा है।

द्रव्यवाचक, भाववाचक तथा व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ सदैव एकवचन में प्रयुक्त होती है।


जैसे-
पेट्रोल-डीजल बहुत महंगा हो गया है।
पाप से घृणा करो, पापी से नहीं।
हमेशा सत्य की जय होती है ।
राम दयालु है ।

कुछ शब्द सदैव बहुवचन में रहते है।


जैसे-
महंगाई देखकर मेरे तो प्राण ही निकल गए।
श्याम जब से नेता बना है , तब से उसके तो दर्शन ही दुर्लभ हो गए ।

कुछ शब्द दोनों वचनों में एक जैसे रहते है। 

जैसे - 
पिता, चाचा, मित्र, फल, बाज़ार, अध्यापक, फूल, छात्र, दादा, राजा, विद्यार्थी आदि।

'प्रत्येक' तथा 'हरएक' का प्रयोग सदा एकवचन में होता है। 

जैसे-
प्रत्येक व्यक्ति को भरपेट भोजन मिलना चाहिए ।
हरएक व्यक्ति चोर नही होता ।

दूसरी भाषाओँ के तत्सम या तदभव शब्दों का प्रयोग हिन्दी व्याकरण के अनुसार होता है ।

जैसे
 अँगरेजी के 'फुट'(foot) का बहुवचन 'फीट' (feet) होता है किन्तु हिन्दी में इसका प्रयोग इस प्रकार फुट ही होगा ।

प्राण, लोग, दर्शन, आँसू, ओठ, दाम, अक्षत इत्यादि शब्दों का प्रयोग हिन्दी में बहुवचन में होता है।

जैसे-
आपको देखकर मेरे प्राण बच गये ।
आपके दर्शन हुए , यही मेरा सौभाग्य है ।

द्रव्यवाचक संज्ञाओं का प्रयोग एकवचन में होता है।

जैसे - 
राम के पास बहुत दूध है।
न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी।

यदि द्रव्य के भिन्न-भिन्न प्रकारों का बोध हों, तो द्रव्यवाचक संज्ञा बहुवचन में प्रयुक्त होगी।

जैसे- 
यहाँ बहुत तरह के तेल मिलते है।
 चमेली, गुलाब, केवड़ा इत्यादि का इत्र अच्छा होता है।

विशेष-

  • आदरणीय व्यक्तियों के लिए सदैव बहुवचन का प्रयोग किया जाता है। 

जैसे-
बंकिमचन्द्र चटर्जी ने राष्ट्रगीत की रचना की ।

  • संबद्ध दर्शाने वाली कुछ संज्ञायें एकवचन और बहुवचन में एक समान रहती है। 

जैसे- 
ताई, मामा, दादा, नाना, चाचा आदि।

  • द्रव्यसूचक संज्ञायें एकवचन में प्रयुक्त होती है। 

जैसे-
पानी, तेल, घी, दूध आदि।

  • कुछ शब्द सदैव बहुवचन में प्रयुक्त किये जाते है

 जैसे- 
दाम, दर्शन, प्राण, आँसू आदि।

  • पुल्लिंग ईकारान्त, उकारान्त और ऊकारान्त शब्द दोनों वचनों में समान रहते है।

जैसे-
एक मुनि -दस मुनि,
 एक डाकू -दस डाकू,
 एक आदमी -दस आदमी आदि।

  • बड़प्पन दिखाने के लिए कभी -कभी वक्ता अपने लिए 'मैं' के स्थान पर 'हम' का प्रयोग करता है

जैसे-
हम दिल्ली जा रहे हैं ।

  • व्यवहार में 'तुम' के स्थान पर 'आप' का प्रयोग करते हैं।

 जैसे-
आप यहाँ क्या कर रहे हैं ।

  • जातिवाचक संज्ञायें दोनों ही वचनों में प्रयुक्त होती है।

जैसे- 
'कुत्ता' भौंक रहा है।
 'कुत्ते' भौंक रहे है।

  • धातुओं का बोध कराने वाली जातिवाचक संज्ञायें एकवचन में ही प्रयुक्त होती है।

जैसे-
 'सोना' महँगा है।
 'चाँदी' सस्ती है।

  • विभक्तियों से युक्त होने पर शब्दों के बहुवचन का रूप बनाने में लिंग के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता।


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