हिन्दी व्याकरण - वाच्य Voice
क्रिया के जिस परिवर्तन से इस बात का बोध होता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है , उसे वाच्य कहते हैं । अर्थात क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का प्रधान विषय कर्ता, कर्म अथवा भाव है, उसे वाच्य कहते हैं ।
वाच्य के भेद
- कर्तृवाच्य
- कर्मवाच्य
- भाववाच्य
- कर्तृवाच्य
- कर्मवाच्य
- भाववाच्य
कर्तृवाच्य
जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा और प्रधान सम्बन्ध कर्ता से होता है , अर्थात् क्रिया के लिंग , वचन कर्ता के अनुसार प्रयुक्त होते हैं , उसे कर्तृवाच्य कहते है ।जैसे
लडका दूध पीता है ।
लडकियाँ दूध पीती हैं ।
प्रथम वाक्य में ' पीता है । क्रिया का लड़का ' के अनुसार पुल्लिंग एक वचन की है जबकि दूसरे वाक्य में ' पीती हैं । क्रिया लड़कियों के अनुसार स्त्रीलिंग , बहुवचन की है ।
विशेष : आदरार्थ ' आप ' के लिए क्रिया सदैव बहुवचन में होती है ।
जैसे
आप जा रहे हैं ।
कर्मवाच्य
जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा सम्बन्ध वाक्य में प्रयुक्त कर्म से होता है अर्थात् क्रिया के लिंग , वचन कर्ता के अनुसार न होकर कर्म के अनुसार होते हैं , उसे कर्मवाच्य कहते हैं ।कर्मवाच्य सदैव सकर्मक क्रियाओं का ही होता है क्योंकि इसमें ' कर्म ' की प्रधानता रहती है ।
जैसे
राम ने चाय पी ।
सीता ने दूध पीया ।
उपर्युक्त प्रथम वाक्य में क्रिया ' पी स्त्रीलिंग एक वचन है जो वाक्य में प्रयुक्त कर्म ' चाय ( स्त्रीलिंग , एकवचन ) के अनुसार आयी है । द्वितीय वाक्य में प्रयुक्त क्रिया पीया ' पुल्लिंग , एकवचन में है जो वाक्य में प्रयुक्त कर्म ' दूध ' ( पुल्लिंग , एकवचन ) के अनुसार है ।
कर्मवाच्य की स्थितियों
- कर्तायुक्त कर्मवाच्य
- कर्ता रहित कर्मवाच्य
- कर्तायुक्त कर्मवाच्य
- कर्ता रहित कर्मवाच्य
कर्तायुक्त कर्मवाच्य
जब वाक्य में कर्ता विद्यमान हो तो वह तिर्यक कारक की स्थिति में होगा अर्थात कर्ता कारक चिह , ( विभक्ति ) युक्त होगा तथा ऐसी स्थिति में क्रिया बीते समय की ( भूतकालिक ) होगी ।जैसे
नरेन्द्र ने मिठाई खाई ।
रोजी ने दूध पीया ।
कर्ता रहित कर्मवाच्य
कर्ता रहित कर्मवाच्य की स्थिति में वाक्य में प्रयुक्त कर्म ही प्रत्यक्ष कर्ता के रूप में प्रयुक्त होता है । ऐसी स्थिति में क्रिया संयुक्त होती है ।जैसे
एक ओर अध्ययन हो रहा था , दूसरी ओर मैच चल रहा था ।
जबकि क्रिया की पूर्णता की स्थिति में किया पद मुख्यधातु में न जुड़कर उसके तुरन्त बाद में प्रयुक्त सहायक धातु में जुड़ते हैं ।
जैसे
अन्थेनी की घड़ी चुराली गई चोर पकड़ लिए गए ।
भाववाच्य
जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया न तो कर्ता के अनुसार होती है , न कर्म के अनुसार , बल्कि भाव के अनुसार होती है वहाँ भाववाच्य होता है ।आँखों में दर्द के कारण मुझ से पढ़ा नहीं जाता ।
इस स्थिति में अकर्मक क्रिया का ही प्रयोग भाववाच्य में होता है । भाववाच्य की एक अन्य स्थिति यह भी है कि यदि क्रिया सकर्मक हो तथा कर्ता और कर्म दोनों तिर्यक ( विभक्तिचिह्न युक्त ) हों तो क्रिया सदैव पुल्लिंग , अन्यपुरुष , एकवचन , भूतकाल की होगी ।
जैसे
राम ने रावण को मारा ।
लड़कियों ने लड़कों को पीटा ।
ये भी देखें
संज्ञा <> सर्वनाम <> विशेषण <> क्रिया <> क्रिया-विशेषण <> समुच्चयबोधक <> सम्बन्धबोधक , विस्मयादिबोधक , निपात <> वचन <> काल <> पुरुष
वाच्य-परिवर्तन
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य
कर्तृवाच्य में कर्ता की प्रधानता होती है , जबकि कर्मवाच्य में कर्म की । अतः किसी वाक्य को कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय , वाक्य में कर्ता को प्रधानता न देकर उसे गौण बना दिया जाता है तथा कर्म को प्रधानता दी जाती है । कर्ता की गौण स्थिति भी दो प्रकार से हो सकती है ! एक कर्ता को करण कारक या माध्यम के रूप में प्रयुक्त कर , उसके साथ ‘ से के द्वारा ' आदि विभक्तियाँ लगाकर या दूसरी स्थिति में कर्ता का लोप ही कर दिया जाता है ।जैसे
' राम पत्र लिखेगा । ' कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य रूप बनेगा राम द्वारा पत्र लिखा जाएगा ।
उदाहरण
कर्तृवाच्य कर्मवाच्य
1. कलाकार मूर्ति गढ़ता है । 1. कलाकार द्वारा मूर्ति गढ़ी जाती है ।
2. वह पत्र लिखता है । 2 उसके द्वारा पत्र लिखा जाता है ।
3. प्रशान्त ने पुस्तक पढ़ी । 3. प्रशान्त द्वारा पुस्तक पढ़ी गई ।
4. दादी कहानी सुनाएगी । 4. दादी द्वारा कहानी सुनाई जाएगी ।
5. मैं व्यायाम करता हूँ । 5. मेरे द्वारा व्यायाम किया जाता है ।
कर्तृवाच्य से भाववाच्य
कर्तृवाच्य में क्रिया कर्ता के अनुसार प्रयुक्त होती है जबकि भाववाच्य में प्रयुक्त क्रिया न कर्ता के अनुकूल होती है , न कर्म के अनुसार बल्कि वह भाव के अनुसार होती है । अतः कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाते समय कर्ता के साथ ' से ' लगाया जाता है या कर्ता का उल्लेख ही नहीं होता , किन्तु कर्ता के उल्लेख न होने की स्थिति तब होती है , जब मूल कर्ता सामान्य ( लोग ) हो । साथ ही मुख्य क्रिया के पूर्ण कृदन्ती क्रमों के बाद संयोगी क्रिया ' जा ' लगती है ।उदाहरण
कर्तृवाच्य भाववाच्य
1. मैं अब चल नहीं पाता । 1. मुझे से अब चला नहीं जाता ।
2. गर्मियों में लोग खूब नहाते हैं । 2. गर्मियों में खूब नहाया जाता है ।
3. वे गा नहीं सकते । 3. उनसे गाया नहीं जा सकता ।
कर्मवाच्य / भाववाच्य से कर्तृवाच्य
कर्तृवाच्य में कर्ता की प्रधानता होती है जबकि कर्मवाच्य में कर्म की अतः कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाते समय पुनः कर्ता के अनुसार क्रिया प्रयुक्त कर देंगे ।उदाहरण
उसके द्वारा पत्र लिखा जाएगा । 1. वह पत्र लिखेगा ।
2. बच्चों द्वारा चित्र बनाए गए । 2. बच्चों ने चित्र बनाए ।
3. गधे द्वारा बोझा ढोया गया । 3. गधे ने बोझा ढोया ।
उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद!
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