वाक्य - विचार vaaky-vichaar भाग- 2
वाक्य विश्लेषण
रचना के आधार पर बने वाक्यों को उनके अंगों सहित पृथक् कर उनका पारस्परिक सम्बन्ध बताने को वाक्य विश्लेषण कहते हैं ।
साधारण वाक्य का वाक्य विश्लेषण
साधारण वाक्य के वाक्य विश्लेषण में सर्वप्रथम साधारण वाक्य के दो अंग - उद्देश्य तथा विधेय को बतलाना होता है , तत्पश्चात् उद्देश्य के अंगों कर्ता तथा कर्ता का विस्तारक तथा ' विधेय ' के अन्तर्गत कर्म , कर्म का विस्तारक , पूरक , पूरक का विस्तारक तथा क्रिया एवं क्रिया के विस्तारक जो भी हो , उसका उल्लेख करना होता है ।
जैसे
मेरा भाई राम धार्मिक पुस्तकें बहुत पढ़ता है !
उद्देश्य = कर्ता – राम , कर्ता का विस्तारक – मेरा भाई ।
विधेय = कर्म – पुस्तकें , कर्म का विस्तारक – धार्मिक , क्रिया – पढ़ता है , क्रिया का विस्तारक – बहुत ।
मिश्र या मिश्रित वाक्य का वाक्य विश्लेषण
मिश्र या मिश्रितवाक्य के वाक्य विश्लेषण में उसके प्रधान उपवाक्य तथा आश्रित उपवाक्य एवं उसके प्रकार का उल्लेख किया जाता है ।
जैसे
श्याम ने कहा कि मैं गाँव नहीं जाऊँगा ।
प्रधान उपवाक्य = श्याम ने कहा कि
आश्रित उपवाक्य = मैं गांव नही जाऊँगा
उपवाक्य का प्रकार = संज्ञा उपवाक्य
संयुक्त वाक्य का वाक्य विश्लेषण
संयुक्त वाक्य के विश्लेषण में साधारण वाक्यों या प्रधान उपवाक्यों या समानाधिकरण उपवाक्यों के उल्लेख के साथ उन्हें जोड़ने वाले संयोजक शब्द का उल्लेख करना होता है ।
जैसे
कृष्ण बाँसुरी बजाते थे और राधा नाचती थी ।
साधारण वाक्य / प्रधानउपावाक्य / समानाधिकरण उपवाक्य = ( अ ) कृष्ण बाँसुरी बजाते थे और ( ब ) राधा नाचती थी ।
संयोजक शब्द = और
वाक्य रचना के सामान्य नियम
वाक्य में पदों का क्रम
प्रत्येक भाषा की वाक्य रचना में पदों का एक निश्चित क्रम होता है । हिन्दी में इस सम्बन्ध कुछ नियम इस प्रकार हैं -
- सामान्य वाक्यों में पहले कर्ता फिर कर्म तथा अन्त में क्रिया होती है । जैसे अभिषेक गाना गाता है ।
- यदि वाक्य में सम्बोधन या विस्मयादिबोधक है , तो वह कर्त्ता से पहले आता है । जैसे प्रशान्त , मेरी बात सुनो । अरे ! हरिण भाग गया ।
- कर्ता , कर्म तथा क्रिया के विस्तारक क्रमश : इनसे पहले ही आते हैं जैसे भूखा भिखारी गर्म रोटी जल्दी - जल्दी खा गया ।
- पदवी या व्यवसाय - सूचक शब्द नाम से पहले आते हैं । जैसे डॉ . आलोक आज जापान जायेंगे । प्रोफेसर अशोक छात्रों को पढ़ा रहे हैं ।
- वाक्य में सम्बन्ध कारक का प्रयोग सम्बन्धी से पहले किया जाता है जैसे यह गोविन्द का घर है ।
- क्रिया - विशेषण क्रिया से पहले लगाया जाता है । जैसे घोड़ा तेज दौड़ता है ।
- प्रश्नवाचक पद प्रायः व्यक्ति या विषय से पूर्व लगाया जाता है । जैसे तुम किस व्यक्ति की बात कर रहे हो ?
- पूर्वकालिक क्रिया मुख्य क्रिया से पहले आती है । जैसे वह खाना खाकर चला गया ।
- द्विकर्मक क्रिया में गौण कर्म पहले और मुख्य कर्म बाद में आता है । जैसे अशोक ने सुशील को पुस्तक दी ।
- निषेधात्मक वाक्यों में ' न ' अथवा ' नहीं ' का प्रयोग प्रायः क्रिया से पूर्व किया जाता है । जैसे दुष्यन्त वहाँ नहीं जायेगा ।
- करण कारक , सम्प्रदान कारक , अपादान कारक तथा अधिकरण कारक कर्ता और कर्म के मध्य रखे जाते हैं तथा वाक्य में इनका प्रयोग विपरीत क्रम यानी अधिकरण , अपादान , सम्प्रदान , करण कारक में होता है । जैसे - टीना ने कागज पर रिंकु के लिए पेन्सिल से चित्र बनाया ।
- पूरक , कर्तृ पूरक स्थिति में सदैव कर्ता के बाद तथा कर्म पूरक स्थिति में कर्म के बाद रहता है ।
- मिश्रवाक्य की संरचना में प्रधान वाक्य प्रायः आश्रित उपवाक्य के पहले आता है । जैसे गाँधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो । राम सफल नहीं हुआ क्योंकि वह पढ़ा नहीं ।
- मिश्र या संयुक्त वाक्यों में योजक दो उपवाक्यों के बीच प्रयुक्त होता है । जैसे तुम इसी समय रवाना हो जाओ ताकि गाड़ी मिल जाय । कृष्ण बाँसुरी बजा रहे हैं और राधा नाच रही है ।
संज्ञा <> सर्वनाम <> विशेषण <> क्रिया <> क्रिया-विशेषण <> समुच्चयबोधक <> सम्बन्धबोधक , विस्मयादिबोधक , निपात <> वचन <> काल <> पुरुष <> वाच्य <> लिंग <> उपसर्ग <> प्रत्यय <> शब्द-विचार <> कारक <> सन्धि <> समास <> पर्यायवाची शब्द <> विलोम शब्द <> वाक्यांश के लिए एक शब्द one word <> एकार्थी प्रतीत होने वाले भिन्नार्थक शब्द <> शब्द-युग्म : समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द <> वाक्य - विचार vaaky-vichaar भाग-1
वाक्य में पदों की अन्विति
किसी वाक्य में पदों का सही क्रम ही पर्याप्त नहीं होता बल्कि उसके पदों में अन्विति का होना भी आवश्यक होता है । ' अन्विति ' का अर्थ होता है- ' सम्बद्धता ' । अर्थात् वाक्य में प्रयुक्त विभिन्न पदों में उचित मेल होना आवश्यक है ।
कर्ता और क्रिया की अन्विति
- कर्ता के साथ परसर्ग नहीं होने पर क्रिया ' कर्ता ' के लिंग , वचन के अनुसार होती है । जैसे राम पुस्तक पढ़ता है । सीता पुस्तक पढ़ती है ।
- वाक्य में भिन्न लिंग और वचन के अनेक कर्ता परसर्ग रहित हों तो क्रिया बहुवचन में होती है तथा उसका लिंग अन्तिम कर्ता के अनुसार होता है । जैसे लड़के और लड़कियाँ खेलती हैं । लड़कियाँ और लड़के खेलते हैं ।
- यदि एक से अधिक कर्त्ता परसर्ग रहित हों और अन्त में समूह वाचक शब्द हो तो क्रिया बहुवचन में होती हैं जैसे राम , श्याम , राधा सब जा रहे हैं ।
- यदि एक से अधिक परसर्ग रहित कर्ता एक ही पुरुष , लिंग के एक वचन हों , तो क्रिया इसी लिंग के बहुवचन में होगी । जैसे नीता , मीता और सीता खेल रही हैं ।
- यदि भिन्न लिंग , वचन के परसर्ग रहित एक वचन के कर्ता और , तथा , आदि से जुड़े हों , तो वाक्य में क्रिया बहुवचन पुल्लिंग में होगी । जैसे शाह और बेगम सुरैया विमान से उतरे । राम और सीता वन से नहीं आए ।
- यदि भिन्न लिंग वचन के परसर्ग रहित कर्ता एकवचन हों तथा वाक्य में विभाजक समुच्चय बोधक ( अथवा , या ) लगा हो , तो क्रिया का लिंग वचन अन्तिम कर्ता के लिंग , वचन के अनुसार होगा । जैसे गुंजन या अभिषेक चला गया । प्रशान्त अथवा वर्षा गाना गायेगी ।
- आदरसूचक एक वचन कर्ता के साथ क्रिया बहुवचन में आती है । जैसे माताजी खाना बना रही हैं । गुरुजी पढ़ा रहे हैं ।
- कर्ता का लिंग अज्ञात होने पर क्रिया पुल्लिंग ही होती है । जैसे कौन आया है ? वहाँ कोई खड़ा है ।
- हिन्दी में आँसू , होश , प्राण , हस्ताक्षर , दर्शन , भाग्य आदि शब्दों का प्रयोग सदैव बहुवचन में ही होता है । जैसे आज आपके दर्शन हो गये । ये मेरे ही हस्ताक्षर हैं ।
कर्म और क्रिया की अन्विति
- यदि कर्ता परसर्ग ' ने ' सहित हो तथा कर्म के साथ ' को ' न लगा हो , तो क्रिया कर्म के लिंग , वचन के अनुसार होती है । जैसे भूपेन्द्र ने आम खाया । नीता ने आम खाया । महेन्द्र ने चाय पी । सन्तोष ने चाय पी ।
- यदि कर्ता और कर्म दोनों के साथ परसर्ग लगा हो तो क्रिया एकवचन , पुल्लिंग और अन्यपुरुष में होती है जैसे राम ने मोहन को पीटा । सीता ने गीता को पीटा । लडकियों ने लड़कों को मारा । पुलिस ने चोर को पकड़ा ।
- परसर्ग सहित कर्ता के साथ एक से अधिक कर्म समान लिंग , वचन के होने पर क्रिया उन्हीं लिंग , वचन में होगी । जैसे मैंने आम और केले खरीदे । उसने पुस्तक और कापी खरीदी
- यदि कर्ता के साथ परसर्ग ' ने ' लगा हो और वाक्य में दो कर्म हों , तो क्रिया अन्तिम कर्म के अनुसार होती है । जैसे राम ने पुस्तकें और रबड़ खरीदा । सीता ने रबड़ और पेन्सिलें खरीदीं ।
संज्ञा और सर्वनाम की अन्विति
- वाक्य में सर्वनाम का वचन उस संज्ञा के वचन के अनुसार होता है , जिसके स्थान पर वह प्रयुक्त हुआ है । जैसे राम ने कहा , " मैं पत्र लिखूगा । " छात्रों ने कहा , " हम खेल खेलेंगे ।
- जो सर्वनाम अनेक संज्ञाओं के स्थान पर आए , वह बहुवचन होता है । जैसे गीता , सीता , नीता अजमेर गईं , वे कल लौटेंगी ।
- किसी एक संज्ञा के स्थान पर एक ही सर्वनाम का प्रयोग उचित है , अलग - अलग नहीं । जैसे राम ने अपने बड़े भाई से कहा ' आप जल्दी जाइये , आपको देर हो जायेगी ।
विशेषण और विशेष्य का अन्विति
- विशेषण का प्रयोग विशेष्य के अनुसार होता है । आकारान्त विशेषण विशेष्य के लिंग , वचन के अनुसार प्रायः बदल जाते हैं । जैसे तुम पीला कुरता पहनो ।,वह पीली साड़ी पहनेगी ।, पीले झण्डे फहरा रहे हैं । किन्तु अन्य विशेषण में विशेष्य के अनुसार परिवर्तन नहीं होता है लाल कमीज , लाल साड़ियाँ , लाल झण्डे ।
- यदि वाक्य में एक से अधिक विशेष्य हों तो विशेषण अपने निकट वाले विशेष्य के अनुरूप होगा । जैसे काली टोपियाँ और कुरते लाओ । काले कुरते और टोपियाँ लाओ ।
सम्बन्ध और सम्बन्धी का अन्विति
- वाक्य में आने वाले सम्बन्ध वाचक शब्दों के लिंग , वचन सम्बन्धी के लिंग , वचन के अनुरूप होते हैं । जैसे यह राम की गाय है । ( प्रस्तुत वाक्य में सम्बन्धी ' गाय ' के अनुरूप सम्बन्ध वाचक ' की ' स्त्रीलिंग , एकवचन का प्रयोग हुआ है । ये राजा के घोड़े हैं । ( यहाँ सम्बन्धी ' घोड़े ' के अनुरूप सम्बन्ध वाचक ' के ' पुल्लिंग , बहुवचन का प्रयोग हुआ है ।
- एक वाक्य में भिन्न लिंग वचन की अनेक संज्ञाएँ सम्बन्धी तो सम्बन्ध कारक अपने बाद में आने वाली संज्ञा के अनुरूप होगा । जैसे उसकी अंगूठी और हार तैयार है । ( उसकी अंगूठी के अनुसार ) , उसका हार और अंगूठी तैयार है । ( उसका हार के अनुसार ) , उसके कपड़े और जूते लाओ । ( ' उसके कपड़े के अनुसार ) , उसकी पुस्तक और पेन खो गया । ( उसकी पुस्तक के अनुसार )
उत्साहवर्धन के लिये धन्यवाद!
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